Saturday, April 13, 2019

भीमराव आंबेडकर



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भीमराव आम्बेडकर

स्वतंत्र भारत के निर्माता, संविधानशिल्पी, समाजसुधारक, प्रथम कानून एवं न्याय मंत्री


भीमराव रामजी आम्बेडकर[a] (14 अप्रैल1891 – 6 दिसंबर1956), बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञविधिवेत्ताअर्थशास्त्रीराजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था।[2][3] वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री,भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे।[4][5][6][7]
बोधिसत्व
बाबासाहब

भीमराव रामजी आम्बेडकर
भीमराव रामजी आंबेडकर
Dr. Bhimrao Ambedkar.jpg
1939 में भीमराव आम्बेडकर

पद बहाल
15 अगस्त 1947 – सप्टेंबर 1951
राष्ट्रपतिराजेन्द्र प्रसाद
प्रधानमंत्रीजवाहरलाल नेहरू
पूर्वा धिकारीपद स्थापित
उत्तरा धिकारीचारु चंद्र बिस्वार

पद बहाल
29 अगस्त 1947 – 24 जनवरी 1950

पद बहाल
जुलाई 1942 – 1946
पूर्वा धिकारीफ़िरोज़ खान नून

जन्म14 अप्रैल 1891 
महूमध्य प्रांतब्रिटिश भारत
(अब मध्य प्रदेशभारत में)
मृत्यु6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65)
नयी दिल्लीभारत
समाधि स्थलचैत्य भूमिमुंबईमहाराष्ट्र
जन्म का नामभिवा, भीम, भीमराव
अन्य नामबाबासाहब आम्बेडकर, आधुनिक मनु
राष्ट्रीयताभारतीय
राजनीतिक दल • शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन
 • स्वतंत्र लेबर पार्टी
 • भारतीय रिपब्लिकन पार्टी
अन्य राजनीतिक
संबद्धताऐं
सामाजिक संघठन :
 • बहिष्कृत हितकारिणी सभा
 • समता सैनिक दल

शैक्षिक संघठन :
 • डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी
 • द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट
 • पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी

धार्मिक संघठन :
 • भारतीय बौद्ध महासभा
जीवन संगी • रमाबाई आम्बेडकर
(विवाह 1906 - निधन 1935)

 • डॉ॰ सविता आम्बेडकर
(विवाह 1948 - निधन 2003)
संबंधआम्बेडकर परिवार देखें
बच्चेचार पुत्र : यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न और एक पुत्री : इन्दु
(यह पाँचो बच्चे 'रमाबाई' के थे, तथा 'यशवंत' को छोड़कर सभी संतानों की बचपन में मृत्यु हो गई थीं।)
निवासमुम्बई, दिल्ली
शैक्षिक सम्बद्धता • मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰)
 • कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰)
 • लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस॰सी॰, डीएस॰सी॰)
 • ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ)
व्यवसायवकील, प्रोफेसर
पेशाविधिवेत्ता, अर्थशास्त्री,
राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्
दार्शनिक, लेखक
पत्रकार, समाजशास्त्री,
मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्,
धर्मशास्त्री, इतिहासविद्
प्रोफेसर, संपादक
धर्मबौद्ध धम्म
पुरस्कार/सम्मान • बोधिसत्व (1956)
 • Bharat Ratna Ribbon.svg भारत रत्न (1990)
 • पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम(2004)
 • द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012)
हस्ताक्षरआम्बेडकर की सही
आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा विधिअर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये थे।[8] व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता। तब भीमराव भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए और पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।[9]
1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया।[10] 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयंती १४ अप्रैल को त्यौहार के रूप में भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है।[11]आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं।

प्रारंभिक जीवन

शिक्षा

छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष

पूना पैक्ट

व्यक्तिगत जीवन

राजनीतिक जीवन

धर्म परिवर्तन की घोषणा

संविधान निर्माण

आर्थिक नियोजन

दूसरा विवाह


1948 में पत्नी सविता आम्बेडकर के साथ भीमराव आम्बेडकर
आम्बेडकर की पहली पत्नी रमाबाई की लंबी बीमारी के बाद 1935 में निधन हो गया। 1940 के दशक के अंत में भारतीय संविधान के मसौदे को पूरा करने के बाद, वह नींद की कमी से पीड़ित थे, उनके पैरों में न्यूरोपैथिक दर्द था, और इंसुलिन और होम्योपैथिक दवाएं ले रहे थे। वह इलाज के लिए बॉम्बे (मुम्बई) गए, और वहां डॉक्टर शारदा कबीर से मिले, जिनके साथ उन्होंने 15 अप्रैल 1948 को नई दिल्ली में अपने घर पर विवाह किया था। डॉक्टरों ने एक ऐसे जीवन साथी की सिफारिश की जो एक अच्छा खाना पकाने वाली हो और उनकी देखभाल करने के लिए चिकित्सा ज्ञान हो।[102] डॉ॰ शारदा कबीर ने शादी के बाद सविता आम्बेडकर नाम अपनाया और उनके बाकी जीवन में उनकी देखभाल की।[67] सविता आम्बेडकर, जिन्हें 'माई' या 'माइसाहेब' कहा जाता था, का 29 मई 2003 को नई दिल्ली के मेहरौली में 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया।[103]

बौद्ध धर्म में परिवर्तन


नागपूर के बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में अपने अनुयायियों को संबोधित करते हुए आम्बेडकर, १४ अक्तुबर १९५६

कुशीनारा के भन्ते चंद्रमणी द्वारा दीक्षा ग्रहण करते हुए डॉ॰ आम्बेडकर

दीक्षाभूमि स्तूप, जहां भीमराव अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए।
सन् 1950 के दशक में भीमराव आम्बेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध भिक्षुओं व विद्वानों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्रीलंका (तब सिलोन) गये।[104] पुणे के पास एक नया बौद्ध विहार को समर्पित करते हुए, डॉ॰ आम्बेडकर ने घोषणा की कि वे बौद्ध धर्म पर एक पुस्तक लिख रहे हैं और जैसे ही यह समाप्त होगी वो औपचारिक रूप से बौद्ध धर्म अपना लेंगे।[105] 1954 में आम्बेडकर ने म्यानमार का दो बार दौरा किया; दूसरी बार वो रंगून मे तीसरे विश्व बौद्ध फैलोशिप के सम्मेलन में भाग लेने के लिए गये।[106] 1955 में उन्होंने 'भारतीय बौद्ध महासभा' यानी 'बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया' की स्थापना की।[107] उन्होंने अपने अंतिम प्रसिद्ध ग्रंथ, 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्म' को 1956 में पूरा किया। यह उनकी मृत्यु के पश्चात सन 1957 में प्रकाशित हुआ।[107] इस ग्रंथ की प्रस्तावना में आम्बेडकर ने लिखा हैं की,
मैं बुद्ध के धम्म को सबसे अच्छा मानता हूं। इससे किसी धर्म की तुलना नहीं की जा सकती है। यदि एक आधुनिक व्यक्ति जो विज्ञान को मानता है, उसका धर्म कोई होना चाहिए, तो वह धर्म केवल बौद्ध धर्म ही हो सकता है। सभी धर्मों के घनिष्ठ अध्ययन के पच्चीस वर्षों के बाद यह दृढ़ विश्वास मेरे बीच बढ़ गया है।[108]
14 अक्टूबर 1956 को नागपुरशहर में डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक धर्मांतरण समारोह का आयोजन किया। प्रथम डॉ॰ आम्बेडकर ने अपनी पत्नी सविता एवं कुछ सहयोगियों के साथ भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुये बौद्ध धर्म ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने अपने 5,00,000 अनुयायियो को त्रिरत्नपंचशील और 22 प्रतिज्ञाएँ देते हुए नवयानबौद्ध धर्म में परिवर्तित किया।[105] वे देवताओं के संजाल को तोड़कर एक ऐसे मुक्त मनुष्य की कल्पना कर रहे थे जो धार्मिक तो हो लेकिन ग़ैर-बराबरी को जीवन मूल्य न माने। हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक किया जा सके इसलिए आम्बेडकर ने अपने बौद्ध अनुयायियों के लिए बाइस प्रतिज्ञाएँ स्वयं निर्धारित कीं जो बौद्ध धर्म का एक सार एवं दर्शन है। यह प्रतिज्ञाएं हिंदू धर्म की त्रिमूर्ति में अविश्वास, अवतारवाद के खंडन, श्राद्ध-तर्पण, पिंडदान के परित्याग, बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों में विश्वास, ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह न भाग लेने, मनुष्य की समानता में विश्वास, बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग के अनुसरण, प्राणियों के प्रति दयालुता, चोरी न करने, झूठ न बोलने, शराब के सेवन न करने, असमानता पर आधारित हिंदू धर्म का त्याग करने और बौद्ध धर्म को अपनाने से संबंधित थीं।[109]नवयान लेकर आम्बेडकर और उनके समर्थकों ने विषमतावादी हिन्दू धर्म और हिन्दू दर्शन की स्पष्ट निंदा की और उसे त्याग दिया। आम्बेडकर ने दुसरे दिन 15 अक्टूबर को फीर वहाँ अपने 2 से 3 लाख अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी, यह वह अनुयायि थे जो 14 अक्तुबर के समारोह में नहीं पहुच पाये थे या देर से पहुचे थे। आम्बेडकर ने नागपूर में करीब 8 लाख लोगों बौद्ध धर्म की दीक्षा दी, इसलिए यह भूमी दीक्षाभूमि नाम से प्रसिद्ध हुई। तिसरे दिन 16 अक्टूबर को आम्बेडकर चंद्रपुर गये और वहां भी उन्होंने करीब 3,00,000 समर्थकों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी।[105][110] इस तरह केवल तीन में आम्बेडकर ने स्वयं 11 लाख से अधिक लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर विश्व के बौद्धों की संख्या 11 लाख बढा दी और भारत में बौद्ध धर्म को पुनर्जिवीत किया। इस घटना से कई लोगों एवं बौद्ध देशों में से अभिनंदन प्राप्त हुए। इसके बाद वे नेपाल में चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन मे भाग लेने के लिए काठमांडू गये। वहां वह काठमांडू शहर की दलित बस्तियों में गए थे। नेपाल का आंबेडकरवादी आंदोलन, दलित नेताओं द्वारा संचालित किया जाता है, तथा नेपाल के अधिकांश दलित नेता यह मानते हैं कि "आम्बेडकर का दर्शन" ही जातिगत भेदभाव को मिटाने में सक्षम है।[111][106] उन्होंने अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध या कार्ल मार्क्स को 2 दिसंबर 1956 को पूरा किया।[112]

निधन

आम्बेडकरवाद

पुस्तकें व अन्य रचनाएँ

पत्रकारिता

विरासत

लोकप्रिय संस्कृति में

फिल्में

आम्बेडकर के जीवन और सोच पर आधारित कई फिल्में, नाटक और अन्य कार्य हैं। जब्बार पटेल ने डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर नाम की फिल्म का वर्ष 2000 में निर्देशन किया था, जिसमें मामूट्टी मुख्य किरदार निभा रहे थे।[209] इस फिल्म का निर्माण भारत के राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम और सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने किया था। विवादों के कारण फिल्म के प्रदर्शन में बहुत समय लग गया था।[210] यूसीएलए और ऐतिहासिक नृवंशविज्ञान में मानव विज्ञान के प्रोफेसर डेविड ब्लंडेल ने भारत में सामाजिक परिस्थितियों और आम्बेडकर के जीवन के बारे में रूची और ज्ञान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से फिल्मों और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला - एरीजिंग लाइट की स्थापना की है।[211]श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित भारत के संविधान के निर्माण पर एक टीवी मिनी सीरीज़ संविधान में आम्बेडकर की मुख्य भूमिका सचिन खेडेकर द्वारा निभाई गई थी।[212]आम्बेडकर और गांधी अरविंद गौर द्वारा निर्देशित और राजेश कुमार द्वारा लिखित नाटक के शीर्षक के दो प्रमुख व्यक्तित्वों को ट्रैक करता है।[213]
भीमराव आम्बेडकर के जीवन एवं विचारों पर कई फिल्में बनी हैं, जो निम्नलिखित है:
  • भीम गर्जना - मराठी फिल्म (१९९०)[214][215][216][217]
  • बालक आम्बेडकर - कन्नड फिल्म (१९९१)[218][219]
  • युगपुरुष डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर - मराठी फिल्म (१९९३)[220][221][222]
  • डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर - सन २००० की अँग्रेजी फिल्म[223]
  • डॉ. बी.आर. आम्बेडकर - कन्नड फिल्म (२००५)[224][225]
  • रायजिंग लाइट - 2006 में बनी डॉक्युमेंट्री फिल्म[226]
  • रमाबाई भीमराव आम्बेडकर - आम्बेडकर की पत्नी रमाबाई के जीवन पर आधारित मराठी फिल्म। (२०१०)[227][228][229]
  • शूद्रा: द राइझिंग - आम्बेडकर को समर्पित हिंदी फिल्म (२०१०)[230]
  • अ जर्नी ऑफ सम्यक बुद्ध - हिंदी फिल्म (२०१३), जो आम्बेडकर के भगवान बुद्ध और उनका धम्म ग्रन्थ पर आधारित है।[231]
  • रमाबाई - कन्नड फिल्म (२०१६)[232][233]
  • बोले इंडिया जय भीम - मराठी फिल्म, हिंदी में डब (२०१६)[234][235]
  • बाल भिमराव - २०१८ की मराठी फिल्म[236][237][238]
इसके अलावा आम्बेडकर के जीवन पर आधारित कई नाटक भी बने है एवं दूरचित्रवाणी सिरिअल "डॉ॰ अम्बेडकर" नामक दूरदर्शन पर हिंदी सिरिअल थी।[239]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

नोट

बाहरी कड़ियाँ

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